साइमन कमीशन –
1919 के अधिनियम में यह व्यवस्था की गई थी कि 10 वर्ष बाद भारतीयों को अधिकार देने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया जायेगा , परंतु ब्रिटेन की तत्कालीन पूंजीवादी सरकार को आशंका थी कि अगर ब्रिटेन में लेबर पार्टी सत्ता में आई तो भारतीयों को अधिक अधिकार प्रदान करेगी । इस कारण तात्कालिक ब्रिटिश सरकार ने 1927 में ही साइमन कमीशन का गठन कर दिया उपर से एक भी भारतीय को इस आयोग में स्थान नहीं दिया गया , जिसके चलते भारतीयों ने साइमन कमीशन का खुल कर विरोध किया ।
कमीशन के भारत आने पर भारतीयों ने ‘ साइमन गो बैक ‘ के नारे लगाए देश भर में इसका पूर्ण विरोध हुआ।
British sarkar को कमीशन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1930 ईस्वी में दी जिसमे निम्न प्रावधान थे –
1- राज्यों में द्वैध शासन के स्थान पर उत्तरदाई शासन की स्थापना।
2- भारत में संघीय शासन
3- केंद्र में द्वैध शासन
4- वायसराय को शक्तिशाली बनाने का सुझाव
शिवस्वामी अय्यर ने इसे रद्दी का टोकरा कहा था।